18 साल बाद गोधराकांड के पीड़ित परिवार के बच्चे का डेथ सर्टिफिकेट जारी

2002 के गोधरा रेल अग्निकांड में 3 साल का मासूम पुत्र गंवाने वाले अहमदाबाद के चौरसिया परिवार को 18 साल बाद मुआवजा मिलने की उम्मीद जगी है| डेथ सर्टिफिकेट नहीं होने की वजह से परिवार को मुआवजा नहीं मिला था| हांलाकि अब गोधरा नगर पालिका की ओर से डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है|


27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के निकट साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 कोच में दंगाइयों ने आग लगा दी थी| इस घटना में 59 लोगों की मौत हो गई थी| अग्निकांड में मारे गए अधिकतर लोग कार सेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे| ट्रेन अग्निकांड का शिकार हुए 59 पीड़ितों में 7 की पहचान अभी तक नहीं हो पाई| शेष 52 पीड़ितों के परिजनों को रु. 10-10 लाख का मुआवजा देने का गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और रेल विभाग को आदेश दिया था| जिसमें पांच लाख रुपए रेलवे विभाग और पांच लाख रुपए राज्य सरकार को देना था| हांलाकि 40 पीड़ितों के परिवार को मुआवजा राशि मिल गई थी| लेकिन डेथ सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण अहमदाबाद के चौरसिया परिवार को मुआवजे रकम के लिए सरकारी दफ्तरों के 18 साल तक चक्कर लगाने पड़े| चौरसिया परिवार के तीन साल पुत्र ऋषभ की ट्रेन अग्निकांड में मौत हो गई थी| ऋषभ का शव तक परिवार को नहीं मिला तो डेथ सर्टिफिकेट से आता|


हांलाकि बच्चे के सैम्पल और माता-पिता से मैच डीएनए रिपोर्ट और वडोदरा के रेल विभाग से मृत्यु प्रमाण पत्र परिवार को दिया गया था| इसके बावजूद मुआवजे के लिए चौरसिया परिवार से ऋषभ का डेथ सर्टिफिकेट मांगा जा रहा था| आखिर गोधरा नगर पालिका की ओर से ऋषभ का डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है| डेथ सर्टिफिकेट जारी होने से चौरसिया परिवार को मुआवजा मिलने की उम्मीद जगी है|


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