कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कथित रूप से शामिल एक नाबालिग के खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड में सुनवाई पर शुक्रवार को रोक लगा दी। जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी। क्योंकि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने उसे वर्ष 2018 में अपराध के समय किशोर ठहराने के निचली अदालत के आदेश को गलती से स्वीकार कर लिया। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी एस पाटवालिया की दलीलें तथा स्थगन के वास्ते दिए गए आवेदन में कही गई बातों पर गौर करने के बाद हम आदेश देते हैं कि कठुआ में किशोर न्याय बोर्ड में....(मामले में) आगे की सुनवाई स्थगित रहेगी।दरअसल प्रशासन की ओर से पेश पाटवालिया ने कहा कि हाईकोर्ट ने नगर निगम और स्कूल के रिकार्ड में दर्ज जन्मतिथि में विरोधाभासों पर गौर किए बगैर ही निचली अदालत के 27 मार्च, 2018 के आदेश को 11 अक्टूबर, 2019 को गलती से स्वीकार कर लिया। शीर्ष अदालत ने सात मई, 2018 को इस मामले की सुनवाई कठुआ से पंजाब के पठानकोट में स्थानांतरित कर दी थी और रोजाना सुनवाई का आदेश दिया था। उससे पहले कुछ वकीलों ने अपराध शाखा के अधिकारियों को कठुआ में इस मामले में आरोपपत्र दायर नहीं करने दिया था। " alt="" aria-hidden="true" />
कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के मामले में किशोर न्याय बोर्ड में सुनवाई पर रोक